विधानसभा चुनाव 2023 के कारण मध्यप्रदेश राजनैतिक दलों का हॉटस्पॉट बन गया है। सभी राजनैतिक दलों के बड़े नेता स्टार-प्रचारकों के रूप में मध्यप्रदेश के ज़िलों में रैलियां, रोड शो व कार्यकर्ता सभाएं कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या योगी आदित्यनाथ, प्रियंका गाँधी हो या मल्लिकार्जुन खड़गे, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव हो अरविंद केजरीवाल। सभी ताबड़तोड़ चुनाव कैंपेनिंग में लगे हुए है। बड़े नेताओं के आने से पार्टी और प्रत्याशी का माहौल बनता है, जिससे चुनाव के नतीजों पर भी असर पड़ता है। स्टार-प्रचारकों की सभाएं हो रही हैं, एक दूसरे पर भरसक ज़ुबानी प्रहार करने के साथ-साथ नेता अपनी पार्टी की पिछले कार्यों का गुणगान भी बखूबी कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है, जिसके चलते सभी पार्टियां ताबड़तोड़ प्रचार में लगी हुई हैं। उम्मीदवारों ने तो अपने-अपने स्तर पर काम शुरू कर दिया है। पोस्टर-बैनर छपने लगे हैं, गलियों में चुनावी गीत भी सुनाई देने लगे हैं। लेकिन, क्या इतना काफी है? जी नहीं! व्यक्तिगत सीटों से बढ़कर यदि प्रदेश में सरकार बनाना है, तो क्षेत्रों में बड़े नेताओं की रैलियां और सभाएं जरूरी हैं। और ऐसा ही होता दिखाई देने लगा है।
अपनी पार्टी के प्रत्याशियों का प्रचार करने के लिए राजनैतिक दलों के बड़े नेता आए दिन मध्यप्रदेश में सभाएं कर रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी फुल फॉर्म में जुटे हुए हैं। पिछले 11 दिनों में वे दो बार मध्यप्रदेश आ चुके हैं। बीते मंगलवार वे सीधी पहुंचे, जहाँ उन्होंने सीधी सांसद व विधायक प्रत्याशी रीति पाठक के प्रचार हेतु आयोजित सभा को संबोधित किया। अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुझे गाली देकर पूरे ओबीसी समाज का अपमान कर रही है। दिग्विजय व कमलनाथ पर मोदी ने कहा कि मध्यप्रदेश कांग्रेस के दोनों बड़े नेता केवल अपने बेटों को कांग्रेस का कब्ज़ा दिलाने की जदोजहद्द में लगे हुए हैं। इनकी इस लड़ाई से मध्यप्रदेश की बर्बादी हो रही है।
बता दें कि पिछले चुनावों में विंध्य की 30 में से 24 सीटों पर बीजेपी जीती थी। इस आंकड़े को बढ़ाने के लिए ही मोदी सीधी पंहुचे। 8 नवंबर को मोदी दमोह, गुना और मुरैना भी पधारे। आने वाले दिनों में भी पीएम मोदी अन्य जिलों में सभाएं करेंगे। फिर 14 नवंबर को इंदौर में मोदी का विशाल रोड शो होगा, जिसके सुरक्षा इंतज़ाम महीने भर पहले ही शुरू कर दिए गए हैं।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशियों का माहौल बनाने का ज़िम्मा प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने उठाया हुआ है। प्रियंका गाँधी ने पिछले दिनों इंदौर में सभा की, जहाँ उनका स्वागत बिना फूलों वाले गुलदस्ते से हुआ, जिसका वीडियो ट्विटर पर खूब वायरल हुआ। 8 नवंबर को प्रियंका गांधी कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के प्रचार हेतु पुनः इंदौर आईं। अभी तक प्रियंका गाँधी मध्यप्रदेश में 3 बड़ी सभाएं कर चुकी हैं, जिनमें राजगढ़, मंडला और दमोह शामिल है। प्रियंका गांधी की सभाओं का लक्ष्य मालवा निमाड़ की सीटों पर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना बताया जा रहा है, क्योकि मालवा-निमाड़ फतह करने से दोनों पार्टियों के लिए बहुमत पाना आसान हो जाएगा।
इसी क्रम में मंगलवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इंदौर की महू व राऊ विधानसभा सीटों पर रोड शो किए, जहाँ उन्होंने कहा कि जहाँ 2003 ने मध्यप्रदेश में अमावस्या थी, तो वहीं 2023 में पूर्णिमा है। कांग्रेस ने प्रदेश में कर्जमाफी के वादे के नाम पर 11 लाख किसानों के साथ धोखा किया है। जेपी नड्डा की रैलियों से बड़ा बदलाव आने की अपेक्षा शायद ही की जा सकती है, क्योंकि दोनों क्षेत्रों के कई लोगों को ये ही नहीं पता चल पाया कि उनके शहर में आया कौन है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल हैं। उन्होंने पिछले दिनों शुजालपुर और खातेगांव में विशाल जनसभाएं की। योगी का भाषण राम मंदिर, धारा 370 तथा भारत के बढ़ते अंतराष्ट्रीय दमखम पर केंद्रित रहा। यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी भोपाल में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस को ओबीसी वर्ग की इतनी ही फ़िक्र है तो आज तक मध्यप्रदेश में किसी ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया?
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी दमोह पंहुचे जहाँ उन्होंने अपने पार्टी के प्रत्याशियों के प्रचार लिए जनसभा का आयोजित किया। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल और भगवंत मान भी प्रदेश में सभाएं करते नजर आ रहे हैं।
इन सभी बयानों और भाषणों से ज्यादा वायरल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का भाषण हुआ, जिसमें भोपाल की एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए वे ये कहते हुए दिखे कि एक व्यक्ति अपने आप को भगवान मानते हुए ये कह रहा है कि मैं शिवराज हूँ। ऐसे तो मेरा नाम भी मल्लिकार्जुन है, मैं भी भगवान शंकर का अवतार हूँ। अगर नेता खुद को भगवान समझने लगे तो फिर देश का क्या होगा।
अभी तक के दौरों के इस दौर से ये बात निकलकर सामने आती है कि सभी पार्टियां मध्यप्रदेश जीतने के लिए भरसक प्रयास कर रही हैं। हर पार्टी ने अपने टॉपमोस्ट नेता को मैदान में उतारा हुआ है। सबसे ज्यादा फोकस विंध्य, मालवा और निमाड़ की सीटों पर किया जा रहा है। इन सभाओं से कई मुद्दे निकलकर सामने आए हैं। जैसे – ओबीसी आरक्षण, राम मंदिर निर्माण, किसान कर्जमाफी, दलित और आदिवासियों का उत्थान आदि कुछ विषय हैं, जिनपर लगभग हर नेता ने अपना बयान दिया है।