चुनाव के पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए रामनिवास रावत को वन मंत्री बनाए जाने के बाद पार्टी में बगावत के सुर तेज़ हो गए है। दरअसल, वन विभाग पहले अलीराजपुर विधायक नागर सिंह चौहान के पास था। उनसे यह विभाग छीनकर रामनिवास रावत को सौंपा गया है। इस पर नागर बुरी तरह नाराज़ हो गए हैं और अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। उन्होंने खुले स्वरों में पार्टी को चेतावनी दी है।
नागर सिंह चौहान का कहना है कि ऐसा अपमान वे बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि “मैं दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जी से मिलने जा रहा हूँ। इसके बाद मैं अंतिम फैसला सुनाऊँगा। नागर मंत्रीपद से इस्तीफ़ा देने की बात भी कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं अपनी सांसद पत्नी से भी इस्तीफा देने के लिए कहूँगा।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय में फेरबदल करना मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार से ही संभव हो पाता है। ऐसे में कुछ ही दिनों पहले कांग्रेस से भाजपा में आए नेता को किसी मंत्री से छीनकर मंत्रालय सौंपने का कार्य क्यों किया गया, ये मुझे नहीं पता। मैंने बाकी नेताओं से बात की है। उन्होंने मुझे पार्टी फोरम पर आगे होकर अपनी बात रखने के लिए कहा है।
नागर का कहना है कि जो कार्यकर्ता 25 वर्षों से अधिक समय से प्रदेश में संगठन बनाने में लगे हुए हैं। पार्टी ने ऐसे एक कार्यकर्ता से मंत्री पद लेकर नए नए आए नेता को दे दिया। यह सरासर अपमान है। वर्तमान में मेरे पास अनुसूचित जाति कल्याण मंत्रालय बचा है। मेरे क्षेत्र अलीराजपुर में केवल 4 प्रतिशत ही अनुसूचित जाति वोटरों की आबादी है। मैं बिना मंत्रीपद के भी उनकी सेवा कर सकता हूँ। इसलिए यदि मेरी बात नहीं मानी गई, तो मैं मंत्रीपद से इस्तीफ़ा दे दूंगा।
सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि नागर सिंह चौहान को पार्टी आलाकमान ने 7 दिन पहले ही कह दिया था कि अब आपकी पत्नी रतलाम से सांसद बन गई हैं। ऐसे में आपको मंत्री पद से इस्तीफ़ा देने पड़ेगा। क्योंकि प्रदेश सरकार पर केंद्र की तरफ से दबाव है। इस पर नागर का कहना है कि मैंने कभी अपनी पत्नी अनीता चौहान को रतलाम संसदीय क्षेत्र से टिकट देने की पैरवी नहीं की। मैंने तो तीन अन्य नेताओं का नाम पार्टी के समक्ष प्रस्तुत किया था। मेरी पत्नी सांसद है। इसकी वजह से मेरा राजनैतिक करियर क्यों खराब किया जा रहा है?
नागर सिंह चौहान ने पार्टी पर ये आरोप भी लगाए हैं कि मैं 3 माह तक अपने क्षेत्र व क्षेत्र के आस-पास के इलाकों में पार्टी के प्रचार में लगा रहा। लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद मुझे अमरवाड़ा उपचुनाव में लगा दिया गया। लेकिन, मंत्री बनने के बाद कई बार आवेदन देने के बाद भी मुझे ओएसडी या अपर मुख्य सचिव नहीं दिया गया।
बहरहाल, नागर सिंह चौहान पार्टी प्रमुख व गृह मंत्री से चर्चा करने के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं। अब दिल्ली से आने के बाद वे क्या फैसला लेते हैं। ये तो समय ही बताएगा। फिलहाल, मध्यप्रदेश भाजपा के किसी नेता की ओर से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।