कुछ महीनों पहले भाजपा के विपक्षी दलों ने देशभर मे भाजपा को चुनावी चुनौती देने के उद्देश्य से The Indian National Developmental Inclusive Alliance (I.N.D.I.A), जिसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, सीपीआई, समाजवादी पार्टी, राजद, जनता दल, तृणमूल कांग्रेस आदि दल शामिल थे। पटना, बेंगलूरू और मुंबई में I.N.D.I.A गठबंधन की तीन मीटिंगें हुई, जिनमें सभी पार्टियों द्वारा भाजपा के ख़िलाफ़ साथ आने को लेकर रणनीतियाँ बनाई गईं। लेकिन, 5 सितारा होटलों की मीटिंगों से इतर जब जमीन पर उतरकर चुनाव लड़ने की बात आई, तो I.N.D.I.A गठबंधन की तस्वीर साफ़ नज़र आने लगी।
पिछले दिनों समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव अपने प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के लिए दमोह आए थे, जहाँ उन्होंने सिर्फ भाजपा की नहीं बल्कि कांग्रेस पर भी सीधा वार किया है। उन्होंने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों को वोट न दें। दोनों सरकारों ने मध्यप्रदेश को लूटा है। दोनों पार्टियां भ्रष्ट हैं तथा बरसों से दलित, आदिवासी व पिछड़ों से धोखा करती आई हैं।
ये पहली नहीं है जब I.N.D.I.A गठबंधन के नाम पर अखिलेश यादव का गुस्सा फूटा है। इसके पहले भी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में सपा के उम्मीदवारों को टिकट न दिए जाने को लेकर अखिलेश ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के इस रवैए से हम जान गए हैं कि I.N.D.I.A का गठन केवल राष्ट्रीय स्तर के कार्यों के लिए हुआ है। जब लोकसभा चुनाव आएँगे, तब देखेंगे। अभी हम अपने प्रत्याशियों के नाम जारी कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने बैनर के तले कुल 35 कैंडिडेट को मैदान में उतारा है, जिनमें कुछ संत और रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। सपा अमूमन दलित, ओबीसी और आदिवासी विकास जैसे मुद्दों को लेकर चुनाव में उतरती है। पिछले चुनावों की बात की जाए तो सपा ने अन्य पार्टियों के वोट काटने के अलावा पूरे मध्यप्रदेश मे केवल एक ही सीट जीती थी।