मध्यप्रदेश में नई सरकार बनने के बाद से ही विपक्ष के नेताओं के वक्तव्यों और ट्वीट्स में एक बात तो ज़रूर सुनने को मिल रही है। वह है – सरकार पर महीने दर महीने बढ़त हुआ कर्ज। एक ओर सीएम मोहन आए दिन प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में जाकर हजारों करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर रहे हैं। तो वहीं कांग्रेस के नेता जनता तक ये बात पहुंचाने में लगे हुए हैं कि लाड़ली बहना योजना, किसान सम्मान निधि एवं अन्य बड़े निर्माण कार्यों या वादों को पूरा करने के लिए सरकार लोन पर लोन लेकर प्रदेश के भविष्य के साथ सौदा कर रही है। हाल ही में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मध्यप्रदेश सरकार पर बढ़ते कर्ज को लेकर निशाना साधा है।
जीतू पटवारी ने कहा है कि फरवरी के तीसरे सप्ताह में सरकार बाजार से 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने वाली है। गवर्मेन्ट सिक्युरिटीज का विक्रय कर यह कर्ज़ कुल तीन हिस्सों में लिया जाएगा। पहला कर्ज ₹1,500 करोड़ 16 वर्ष और इतनी ही राशि का दूसरा कर्ज 20 वर्ष के लिए लिया जाएगा! ₹2000 करोड़ का तीसरा कर्ज 21 वर्ष में चुकाया जाएगा। तीनों ही कर्ज पर साल में दो बार कूपन रेट पर ब्याज का भुगतान भी किया जाएगा। सरकार अब तक कुल 27 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। 31 मार्च 2023 की स्थिति में सरकार पर तीन लाख 31 हजार करोड़ रुपए से अधिक कर्ज है। उल्लेखनीय यह भी है कि इसी माह 06 फरवरी को डॉ. मोहन यादव की सरकार ने तीन हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था!
प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही देरी और पटवारी भर्ती परीक्षा में हुए कथित घोटाले पर जीतू पटवारी ने कहा कि सरकारी भर्तियों में खुलेआम धांधली चल रही है। सरकार की जांच रिपोर्ट संदिग्ध साबित हो रही है। युवा सड़कों पर उतरकर भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इसके बावजूद भाजपा की प्रदेश सत्ता बेपरवाह है। एक ओर प्रदेश की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है, दूसरी ओर युवा, गरीब, महिलाएं, किसान चुनावों के पूर्व किए गए वादों के पूरे होने का इंतजार कर रही है।
इस बात में दो राय नहीं है कि मध्यप्रदेश सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है। पिछले महीने सरकार की ओर से 40 से ज्यादा विभागों की कई योजनाओं पर आर्थिक अंकुश लगाए जाने की खबर आई थी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ओबीसी विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति मिलने में भी देरी होने की खबर अखबारों प्रकाशित हुई थी। इसके अलावा इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा हाल ही में दिए गए भाषण से यह बात निकलकर आई थी कि लाड़ली बहना योजना की वजह से निगम को चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि समय पर नहीं मिली, जिससे निगमकर्मियों को वेतन देने में देरी हो रही है।
हालांकि, ताज़ा मामले पर बीजेपी के किसी नेता का कोई बयान नहीं आया है। पूर्व में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ये बात ज़रूर कही थी कि प्रदेश के विकास के लिए जरूरत पड़ी, तो कर्ज ज़रूर लेंगे। राज्य सरकारें कर्ज लेती हैं। कर्ज लेना कोई बुरी बात नहीं है।